7 दिन तक मैंने तय किया था कि मैं राजनीति से एवं राजनीति से जुड़ी खबरों से दूर रहूंगा। ना अखबार पढ़ूंगा और ना ही न्यूज़ चैनल देखूंगा। सोसियाल मीडिया पर भी जो सही में हकदार है उसकी तारीफ ही करूंगा। मुझे लगता है कि इस प्रयोग में में काफी हद तक सफल रहा। (बाकी गलतियों के बारे में आप ही बता सकते हैं)। प्रयोग के पहले ही दिन सुशांत की मौत और उससे जुड़ी कई सारी खबरें आती रही, चीन का विवाद, हमारे 20 जवान शहीद हुए, फिर अचानक से 10 लोग जिन के गायब होने की हमें खबर तक नहीं थी उसको चीन ने रिहा किया, पेट्रोल एवं डीजल के दाम लगातार बढ़ते रहे, एक और चाइना के चीजों की बॉयकॉट की खबर चलती रही और दूसरी और भारत सरकार एवं गुजरात सरकार ने चाइनीस कंपनियों को बड़े ऑर्डर दे दिए इसके अलावा भी कई घटनाएं घटित हुई जिस पर लिखने का मन तो बहुत हुआ लेकिन रुक गया। ना लिखने पर भी कई लोगों ने नाराजगी जताई लेकिन इसी बीच मेरे क्या अनुभव रहे वह में बयां कर रहा हूं।
1) राजनीति एवं राजनीतिक खबरों से दूर रहने पर मन को अलग ही प्रकार की शांति का अहसास हुआ।
2) पता चला कि राजनीति के मूल में नफरत एवं किसी के प्रति दुर्भावना का भाव रहता है।
3) पहले खबरें पढ़कर, खबर देख कर नए विचार आते थे लेकिन आज के दौर की खबरें पढ़कर और ख़बरें दिखा कर हमारी सोचने की क्षमता को ध्वस्त कर दिया जाता है।
4) मुझे यकीन हो गया कि राजनीति एक घना अंधेरा है जिसके मूल में सत्ता लालसा, नफरत, धोखेबाजी, खून, दुर्भावना एवं और भी कई नकारात्मक चीज जुड़ी हुई है।
5) अंधेरे से लड़ना काफी कठिन होता है और अंधेरे से लड़ने वालों के लिए मेरे दिल में अपार सम्मान है लेकिन एक रास्ता दीप जलाना भी होता है।
6) राजनीति हमारे दिलों में नफरत की आग लगाती है (घना अंधेरा) तो कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों के दिलों में प्यार बना रहे। (दीया जलाना) ।
7) आने वाले 7 दिनों तक राजनीति से दूरी तो बनी ही रहेगी लेकिन उसके साथ साथ प्यार की ढेर सारी बातें होगी।
(आप इस प्रयोग के साथ जुड़ सकते हैं एवं आपके अनुभव भी साझा कर सकते हैं)
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