Saturday, June 20, 2020
पर्यावरण को लेकर सत्ता से सवाल क्यों नहीं ?
आज विश्व पर्यावरण दिवस है और कई नेता पेड़ों के साथ दिखाई दिए, कई लोगों ने ट्वीट की और कुछ ने तो पोस्टर भी बनवा दिए। लेकिन वास्तव में क्या उन्हें पर्यावरण की कोई भी फिक्र है ? चलिए ऑस्ट्रेलिया का एक किस्सा पढ़ लेते हैं। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से वहां के एक आम नागरिक ने उन्हें अपने घास से हटने के लिए कहा और प्रधानमंत्री को शर्मिंदगी के साथ घास से हटना पड़ा। कुछ दिनों पहले ऐसी ही एक खबर न्यूजीलैंड से आई थी, जहां प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न को अपने पार्टनर के साथ एक रेस्तरा के बाहर एक घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा था। दरअसल रेस्तरा में टेबल खाली नहीं था और पीएम अर्डर्न ने पहले से टेबल बुक नहीं कराया था। अब भारत का हाल देख लीजिए कुछ ही साल पहले हमारे यहां प्रधानमंत्री के हेलीपैड के लिए पूरा रिसर्च स्टेशन बर्बाद कर दिया जाता है और वह भी छात्रों के विरोध और गुजारिश के बाद भी और वह भी एक बार नहीं दो बार। तो आप सोच लीजिए कि आज जो पर्यावरण की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं उनका असली चेहरा क्या है। ऑस्ट्रेलिया में घास खराब होती है तो प्रधानमंत्री को हटने को कहा जाता है और प्रधानमंत्री माफी भी मांगते हैं और यहां पर पूरा रिसर्च स्टेशन बर्बाद कर दिया जाता है वह भी सिर्फ अपने हेलीपैड के लिए। भरूच के आसपास कई सारे मैदान थे कई सारी जगह थी लेकिन यह कैसा आनंद है जो रिसर्च स्टेशन को बर्बाद करके ही मिलता है? पर्यावरण को बर्बाद करके पूरा रिसर्च स्टेशन बर्बाद कर दिया जाता है लेकिन कोई प्रधानमंत्री से सवाल करने की हिम्मत तक नहीं करता। यही फर्क है हमारे लोकतंत्र में और दूसरे लोकतंत्र में। अभी हमें बहुत कुछ सीखना है।सवाल क्यों नहीं
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