अब थोड़ी तो फिक्र करनी पड़ेगी।
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फिलहाल इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिल्म क्षेत्र से जुड़े लोगों की जिंदगी अपने आप में एक शोध का विषय है। पिछली बार जब फिल्म की थी तब सेट पर 4 लोग ऐसे मिले थे जो डिप्रेशन से गुजर चुके थे। मेंटल हेल्थ के बारे में हमें ज्यादा सोचने की आवश्यकता है। आप सोचिए पढ़े लिखे समझदार , धनवान और अपने क्षेत्र में सफल नौजवान का अगर यह हाल है तो स्कूल में पढ़ रहे बच्चों का क्या हाल होता होगा ? आज भी स्कूल में AC क्लासरूम को तवज्जो दी जाती है लेकिन काउंसलर की पोस्ट को इतनी अहमियत नहीं दी जाती है। बोर्ड के रिजल्ट से पहले मैंने स्टूडेंट्स को कहा था एक बार छिछोरे देख लेना अब निशब्द हूं।
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