Tuesday, June 23, 2020

नफरत के बाजार में प्यार की सम्मा जलाएं

जीवन के कई मोड़ पे में पलायन वादी रहा हूं इसमें कोई दो राय नहीं है। और होना भी चाहिए कई बार पीछे हटने में ही सबकी भलाई होती है लेकिन इस अन्याय कि व्यवस्था के विरोध में मैं पलायन वादी नहीं हूं, बल्कि यू कहां जा सकता है की गलत रास्ते पर आगे बढ़ रहा था अब पीछे जा रहा हूं। ज्यादातर लोगों को लग रहा है कि मैं सरकार का विरोध कर रहा हूं , जाने अनजाने में मैं इसी राह पर आगे बढ़ रहा था। मैं व्यवस्था का विरोधी रहा हूं ना कि किसी सरकार का। क्योंकि सभी सरकारी इस अन्याई व्यवस्था का ही हिस्सा है। विरोध करने में एक सरकार से दूसरी सरकार का खेल चलता रहेगा लेकिन व्यवस्था ज्यों की त्यों बनी रहेगी और उसके साथ हमारी समस्याएं भी। सरकार का विरोध कर के भी आपके दिल में नफरत का ही भाव प्रकट होता है। नफरत के भाव को बनाए रखकर नई व्यवस्था को समझाना काफी मुश्किल है इसीलिए मैं चाहता हूं सबसे पहले दिलों में प्यार हो, हमदर्दी हो, करुणा हो, समूची धरती के लिए बेइंतहा मोहब्बत हो। जब लोगों के दिलों में प्यार होगा तब नई व्यवस्था अपने आप आ जाएगी। आज सरकार सरकार खेलने के चक्कर में हम इंसानियत दफनाकर हैवानियत की ऊंची तर्ज पर विराजमान होने को आगे बढ़ रहे हैं। राजनीति के मूल में ही नफरत है और नफरत की लड़ाई नफरत से करना काफी कठिन है। और जैसे-जैसे सत्ता की भूख बढ़ती जाएगी ये नफरत का दायरा भी बढ़ता जाएगा। आजादी से पहले अंग्रेजों के खिलाफ नफरत थी, फिर पड़ोसी देशों के लिए नफरत खड़ी की गई, आजादी के बाद से ही हिंदू मुस्लिम दोनों को नफरत की आग में जलाते रहे, फिर महिलाओं के लिए नफरत, दलितों के लिए नफरत और अब पत्रकारों के लिए नफरत, बड़े अभिनेता जो अपने विचार से समाज को प्रेरित करने की ताकत रखते हैं उनके लिए भी नफरत यहां तक कि ज्यादा पढ़े लिखे लोग जो सोचने, समझने की और सवाल करने की ताकत रखते हैं उनके लिए भी नफरत। क्योंकि सरकार कोई भी हो वह हमेशा चाहती है कि सवाल ना हो और उनका सत्ता का खेल,  नफरत का खेल, चलता रहे।  पत्रकारिता तो खत्म हो ही गई है अब धीरे-धीरे पूरे न्याय तंत्र को भी नफरत के जरिए खत्म कर देंगे। हम लोग भी जाने अनजाने में इसी नफरत के खेल का हिस्सा बन रहे हैं। हो सकता है कि मैं गलत हूं लेकिन मुझे लगता है कि अगर यह नफरत को मिटा कर हमने प्यार की शम्मा जला दी तो अपने आप यह व्यवस्था भी पूरी तरीके से ध्वस्त हो जाएगी और अगर नहीं भी होती है तो प्यार से जिंदगी जीने का, सही तरीके से जिंदगी जीने का मतलब समझ में आ जाएगा । बाकी आप सभी के विचार का मैं सम्मान करता हूं।

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